ESCHERICHIA COLI ( ई-कोलाई)

चर्चा में क्यों?

  • नई परियोजना द्वारा गंगा में एंटीबायोटिक  प्रतिरोध  का अध्ययन और ई-कोलाई के स्रोतों  की  पहचान  की जाएगी।

परियोजना का उद्देश्य

  • अनुसंधान परियोजना का उद्देश्य नदी में “प्रदूषण” (सीवेज और औद्योगिक) और ” मानव स्वास्थ्य खतरों (एंटीबायोटिक प्रतिरोध वृद्धि) को उजागर करना है। साथ ही ई-कोलाई बैक्टीरिया स्रोतों की पहचान करना है जो पशुओं और मनुष्यों की आँत  में पाया जाता है।
  • यह प्रोजेक्ट गत दो वर्षों से मोतीलाल नेहरू संस्थान(इलाहाबाद), राष्ट्रीय पर्यावरण इंजीनियरिंग रिसर्च इंस्टीट्यूट (NEERI)नागपुर,  सरदार पटेल संस्थान(गोरखपुर) में वैज्ञानिकों द्वारा चलाया जा रहा  है।

(ESCHERICHIA) ई-कोलाई-

  • यह मनुष्य तथा जानवरों की आंत में पाया जाता है,अधिकांश हानिरहित होते हैं पर कुछ जानलेवा भी होते हैं।
  • शिगा(SHIGA)एक विषाक्त ई-कोलाई(STEC) है।
  • इसका संक्रमण कच्चे खाद्य पदार्थों,दूषित जल,कच्चे दूध के उत्पाद,अधपके मांस के सेवन से फैलता है।
  • लक्षण- पेट दर्द,डायरिया,उल्टी, बुखार जैसी समस्याएं हो सकती हैं।
  • अधिकतर रोगी 10 दिनों के अन्दर ठीक हो जाते हैं,कुछ के लिए यह घातक हो जाती है।

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