अध्याय – 4  : वैश्वीकरण और भारतीय अर्थव्यवस्था

वैश्वीकरण :-

  • वैश्वीकरण अपने देश की अर्थव्यवस्था का संसार के अन्य देशों की अर्थव्यवस्थाओं के साथ सामंजस्य स्थापित करना ।

उदारीकरण :-

  • उदारीकरण सरकार द्वारा अवरोधों और प्रतिबंधो को हटाने की प्रक्रिया को उदारीकरण कहा जाता है ।

निजीकरण :-

  • सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनियों को चरणबद्ध तरीके से निजी क्षेत्र में बेचना ।

बहुराष्ट्रीय कम्पनियाँ :-

  • वह कंपनी जो एक से अधिक देशों में उत्पादन पर नियंत्रण रखती है ।

निवेश :-

  • परिसंपत्तियों जैसे – भूमि , भवन , मशीन और अन्य उपकरणों की खरीद में व्यय की गई मुद्रा को निवेश कहते हैं ।

विदेशी निवेश :-

  • बहुराष्ट्रीय कंपनियों द्वारा किए गए निवेश को विदेशी निवेश कहते हैं ।

मुक्त व्यापार :-

  • जब दो देशों के बीच व्यापार बिना किसी प्रतिबंध के होता है तो उसे मुक्त व्यापार कहते हैं ।

विश्व व्यापार संगठन ( डब्लू . टी . ओ . ) :-

  • इसका उद्देश्य अंर्तराष्ट्रीय व्यापार को उदार बनाना है ।

विश्व व्यापार संगठन मुख्य उद्धेश्य :-

  • विदेशी व्यापार को उदार बनाना ।
  • विकसित देशों की पहल पर शुरू किया गया ।
  • अन्तर्राष्ट्रीय व्यापार से संबंधित नियमों को निर्धारित करता है ।
  • विकासशील देशों को व्यापार अवरोधक हटाने के लिए विवश करता है ।
  • विकसित देशों ने अनुचित ढंग से व्यापार अवरोधकों को बरकरार रखा है ।

विश्व बैंक :-

  • विश्व बैंक अपने सदस्य राष्ट्रों को वित्तीय सहायता देने वाली अन्तर्राष्ट्रीय संस्था ।

सेज ( SEZ ) :-

  • किसी विशेष क्षेत्र में अतिरिक्त सुविधाएँ प्रदान कर विदेशी कम्पनियों को निवेश के लिए आकर्षित करना ।

 विश्व भर के उत्पादन को एक दूसरे से जोड़ना :-

  • बहुराष्ट्रीय कपंनियाँ उसी स्थान पर उत्पादन इकाई स्थापित करती हैं जो बाजार के नजदीक हो , जहाँ कम लागत पर कुशल और अकुशल श्रम उपलब्ध हो तथा सरकारी नीतियाँ अनुकूल हो ।
  • इनके द्वारा निवेश किए गए धन को विदेशी निवेश कहते हैं ।
  • कभी कभी इन देशों की स्थानीय कपंनियों के साथ संयुक्त रूप से उत्पादन करती हैं ।
  • स्थानीय कपंनियों को अतिरिक्त निवेश के लिए धन तथा उत्पादन की नवीनतम प्रौधोगिकी प्रदान करती है ।
  • कभी कभी स्थानीय कपंनियों को खरीदकर उत्पादन का प्रसार करती है ।
  • छोटे उत्पादकों को उत्पादन का ऑर्डर देती है । खास – तौर से वस्त्र , जूते – चप्पल एवं खेल का सामान ।

बहुराष्ट्रीय कंपनियों द्वारा उत्पादन या उत्पादन पर नियंत्रण स्थापित करने के तरीके :-

  • स्थानीय कंपनियों के साथ संयुक्त रूप से उत्पादन करना । संयुक्त उत्पादन से स्थानीय कंपनी को अतिरिक्त निवेशक के धन तथा उत्पादन की नवीनतम प्रौद्योगिकी भी प्राप्त हो जाती है ।
  • स्थानीय कंपनियों को खरीदना और उसके बाद उत्पादन का प्रसार करना ।
  • छोटे उत्पादकों को उत्पादन का ऑर्डर देना ।
  • स्थानीय कंपनियों के साथ सांझेदारी द्वारा आपूर्ति के लिए स्थानीय कंपनियों का इस्तेमाल करके और स्थानीय कंपनियों से निकट प्रतिस्पर्धा करके अथवा उन्हें खरीद कर बहुराष्ट्रीय कंपनियाँ दूरस्थ स्थानों के उत्पादन पर अपना प्रभाव जमा रही है जिससे दूर दूर स्थानों पर फैला उत्पादन परस्पर संबंधित हो रहा है ।

विदेश व्यापार कैसे बाजारों का एकीकरण करता है ?

  • विदेश व्यापार उत्पादकों को अपने देश के बाजार से बाहर के बाजारों में पहुँचने का अवसर प्रदान करता है ।
  • खरीददारों के समक्ष दूसरे देश में उत्पादित वस्तुओं के आयात से विकल्पों का विस्तार होता है ।
  • दो देशों के उत्पादक एक दूसरे से दूर होते हुए भी प्रतिस्पर्धा कर सकते हैं जिससे दो बाजारों में एक ही वस्तु का मूल्य सामान होने लगता है ।

वैश्वीकरण को संभव बनाने वाले कारक :-

  • प्रौद्योगिकी का विकास
  • परिवहन में सुधार
  • सूचना प्रौधाोगिकी
  • दूरसंचार एवं संचार उपग्रह
  • सरकार द्वारा अवरोधों की समाप्ति
  • इंटरनेट

वैश्वीकरण का प्रभाव :-

  • उपभोक्ता के लिए : पहले से अधिक विकल्प , उत्पादों की उत्कृष्ट गुणवत्ता , कम कीमत तथा अपेक्षाकृत उच्च जीवन स्तर ।
  • नए रोजगार के अवसर
  • बहुराष्ट्रीय कंपनियों को कच्चा माल आपूर्ति कराने वाली स्थानीय कंपनियाँ समृद्ध हुईं ।
  • अनेक शीर्ष भारतीय कंपनियाँ बहुराष्ट्रीय कंपनी के रूप में उभरी हैं जैसेः टाटा मोटर्स , इंफोसिस , रैनबैक्सी एशियन पेंट्स इत्यादि ।

न्याय संगत वैश्वीकरण के लिए प्रयास :-

  • न्याय संगत वैश्वीकरण सभी के लिए अवसर प्रदान करेगा ।
  • सरकार की नीतियाँ सबको सरंक्षण प्रदान करने वाली होनी चाहिए ।
  • सरकार सुनिश्चित कर सकती है कि श्रमिक कानूनों का उचित कार्यान्वयन हो और श्रमिकों को उनके अधिकार मिलें ।
  • सरकार न्यायसंगत नियमों के लिए विश्व व्यापार संगठन से समझौते कर सकती है ।
  • समान हित वाले विकासशील देशों से गठबंधन कर सकती है ।

भारत में वैश्वीकरण का प्रभाव :-

  • स्थानीय एवं विदेशी उत्पादकों के बीच बेहतर प्रतिस्पर्धा से उपभोक्ताओं को लाभ हुआ है ।
  • उपभोक्ताओं के समक्ष पहले से अधिक विकल्प है और वे अब अनेक उत्पादों की उत्कृष्ट गुणवत्ता और कम कीमत से लाभान्वित हो रहे है ।
  • विदेशी निवेश में वृद्धि हुई है ।
  • उद्योगों और सेवाओं में नये रोज़गार उत्पन्न हुए है ।
  • शीर्ष भारतीय कंपनियाँ बढ़ी हुई प्रतिस्पर्धा से लाभानिवत हुई है और इन कंपनियों ने नवीनतम् प्रौद्योगिकी और उत्पदान प्रणाली में निवेश कर अपने उत्पादन – मानकों को ऊँचा उठाया है ।
  • बडी भारतीय कंपनियों को बहुराष्ट्रीय कंपनियों के रूप में उभरने के योग्य बनाया है ।
  • सेवा प्रदाता क्रपनियों विशेषकर सूचना और संचार प्राद्योगिकी वाली कंपनियों के लिए नये अवसरों का सृजन किया है ।

व्यापार अवरोधक तथा इनका महत्व :-

  • वे नियम तथा कानून जो देशों के आयात – निर्यात पर अंकुश लगाते है ।
  • सरकार व्यापर अवरोधक का प्रयोग विदेशी व्यापार में वृद्धि या कटौती करने तथा देश में किस प्रकार की वस्तुएँ कितनी मात्र में आयातित होनी चाहिए , यह निर्णय करने के लिए कर सकती है ।

 विशेष आर्थिक क्षेत्र :-

  • केन्द्र एवं राज्य सरकारें द्वारा भारत में विदेशी निवेश हेतु विदेशी कंपनियों को आकर्षित करने के लिए ऐसे औद्योगिक क्षेत्रों की स्थापना जहाँ विश्व स्तरीय सुविधाएँ – बिजली , पानी , सड़क , परिवहन , भण्डारण , मनोरंजन और शैक्षिक सुविधाएँ उपलब्ध हो ।

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