निर्वाचन आयोग

संविधान का भाग – 15 निर्वाचन आयोग से संबन्धित है।

निर्वाचन आयोग से संबधित भाग – 15 में कुल छः अनुच्छेद (अनु.324-329) है।

भारत में स्वतंत्रत, निष्पक्ष व पारदर्शी शासन के सचांलन हेतू निर्वाचन आयोग की आवश्यता पड़ी।

अनुच्छेद 326 में मताधिकार को प्रयोग करने का अधिकार दिया है।

भारत में निर्वाचन आयोग की स्थापना 25 जनवरी 1951 को की गई।

25 जनवरी राष्ट्रीय मतदाता दिवस है।

प्रथम निर्वाचन आयुक्त – सुकुमार सुन थे। मार्च 1950 – 1958

देश के एकमात्र महिला मुख्य चुनाव आयुक्त – वी. एस. रमादेवी

एकमात्र निर्वाचन आयोग के कार्यवाहक मुख्य चुनाव आयुक्त – श्री मति वी. एस. रमादेवी(26 नवम्बर 1990 से 11 दिसम्बर 1990)।

वर्तमान मुख्य निर्वाचन आयुक्त – वी. एस. सम्पत(18 वें)

अन्य दो सदस्य – हरिशंकर ब्रह्मा व नजीन जैडी।

निर्वाचन आयुक्तों की नियुक्ती राष्ट्रपति करता है।

इनका कार्यकाल 6 वर्ष या 65 वर्ष आयु(जो भी पहले हो) तक होता है।

शपथ – तीसरी अनुसुची में।

त्यागपत्र – राष्ट्रपति को।

हटाने की प्रक्रिया

निर्वाचन आयुक्तों को राष्ट्रपति द्वारा मुख्य निर्वाचन आयुक्त की सिफारिश पर हटाया जा सकता है।

अनुच्छेद 234(5) के अनुसार मुख्य निर्वाचन आयुक्त को उसक पद से उसी रीति से और उन्हीं आधारों पर ही हटाया जायेगा जिस रीती से और जिन आधारों पर उच्च्तम न्यायालय के न्यायाधीश को हटाया जाता है। इसकी प्रक्रिया अनुच्छेद 124(4) के अनुसार होगी।(कार्यकाल से पूर्व हटाने का प्रावधान न्यायाधिशों के समान ।)

निर्वाचन आयोग के सभी फैसले बहुमत से लिये जाते है।

निर्वाचन आयोग के कार्य

  1. राष्ट्रपति व उपराष्ट्रपति के चुनाव करवाना।
  2. लोकसभा, राज्यसभा, विधानसभा, और विधानपरिषद् सदस्यों के चुनाव करवाना।
  3. चुनावी खर्चो की निगरानी करना, आचारा सहिता लगाना व उसकी पालना सुनिश्चित करना, निष्पक्ष व पारदर्शी चुनाव करवाना।

निर्वाचन आयोग के कार्य एवं शक्तियां

1. स्थानिय शासन को छोड़कर सभी चुनाव को सम्पन्न करना।

2. मतदाता पहचान पत्र तैयार करवाना।

अनुच्छेद 325 मतदाता सुची में जाती लिंग धर्म के आधार पर नाम जोड़ने में भेदभाव नहीं करना।

3. आचार संहिता का पालन करवाना।

4. सदस्यों की सदस्यता से सम्बधित राष्ट्रपति को सलाह देना।

5. परिसीमन – चुनाव क्षेत्रों का परिसिमन करना।

वर्तमान में चैथा परिसीमन आयोग कार्यरत है इसके अध्यक्ष न्यायमुर्ती कुलदीप सिंह है।

6. राजनैतिक दलों को मान्यता प्राप्त करना।

चुनाव चिन्हों का आवंटन करना।

निर्वाचन आयोग ने चुनाव चिन्ह आंवटन एवं सरंक्षण अधिनियम 1968(संशोधित 2005) के अनुसार राष्ट्रीय दल हेतु निम्न आवश्यक शर्ते है।

1.यदि कोई दल लोकसभा चुनाव में लोकसभा की कम से कम 11 अथवा कुल सीटों की 2 प्रतिशत सीटे 3 राज्यों से प्राप्त कर ले तो वह राष्ट्रीय दल का दर्जा प्राप्त कर लेगा।

2.यदि कोई दल लाकसभा की कम से कम 4 सीट और डाले गये कुल वैद्य मतों के 6 प्रतिशत मत (कम से कम 4 राज्यों से ) प्राप्त कर ले तो भी वह दल राष्ट्रीय दल का दर्जा प्राप्त कर लेगा।

प्रारम्भ में निर्वाचन आयोग एक सदस्यीय था।

प्रधानमंत्री राजीव गांधी के समय पहली बार 1989 में निर्वाचन आयोग को त्रिसदस्यीय बनाया गया। 1990 में वी. पी. सिंह सरकार द्वारा पुनः एक सदस्यीय कर दिया गया।

1993 से निर्वाचन आयोग त्रिसदस्यीय है।

मुख्य निर्वाचन आयुक्त परिसीमन आयोग का पदेन सदस्य होता है।

चुनाव क्षेत्रों का सीमांकन या परिसीमन 10 वर्षीय जनगणना के पश्चात् किया जा सकता है।

परिसीमन आयोग की रिपोर्ट को न्यायालय में चुनौती नहीं दी जा सकती ।

मताधिकार का उल्लेख अनुच्छेद 326 में है।

मूल संविधान में मतदाता का न्यूनतम आयु 21 वर्ष थी।

प्रधानमंत्री राजीव गांधी के समय मतदाता की न्यूनतम आयु 21 वर्ष से घटाकर 18 वर्ष की गयी।

61 वें संविधान संशोधन(1988) द्वारा मतदाता की न्युनतम आयु 18 वर्ष की गयी।

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