लोकपाल
- देश के पहले लोकपाल – पिनाकी चन्द्र घोष
लोकपाल चयन समीति – 4 सदस्य
अध्यक्ष – प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी
अन्य सदस्य – रंजन गोगोई, सुमित्रा महाजन, मुकुल रोहतगी
शपथ – राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद
स्थिति – एक अध्यक्ष और अधिकतम 8 सदस्य
50 प्रतिशत सदस्य न्यायिक पृष्ठभूमि से होने अनिवार्य।
कार्यकाल – 5 वर्ष या 70 वर्ष जो भी पहले।
वेतन व भत्ते – 2.80 लाख(अध्यक्ष), 2.50 लाख(सदस्य)
लोकपाल विधेयक लोकसभा में – 17 दिसम्बर 2013
लोकपाल विधेयक राज्यसभा में – 18 दिसम्बर 2013
विधेयक अधिनियम बना – 1 जनवरी 2014
इस अधिनियम के अन्तर्गत केंद्र में लोकपाल तथा राज्य में लोकायुक्त की नियुक्ति का प्रावधान है।
न्यायिक सदस्य – दिलिप भौंसले, प्रदीप कुमार मोहंती, अजय कुमार त्रिपाठी, अभिलाषा कुमारी।
गैर न्यायिक सदस्य – दिनेश जैन, अर्चना राम सुंदरम, महेन्द्र सिंह, इन्द्रजीत प्रसाद गौतम।
लोकपाल चयन समिति
- प्रधानमंत्री- अध्यक्ष
- लोकसभा अध्यक्ष – सदस्य
- भारत के मुख्य न्यायाधिश(अन्य नामित) – सदस्य
- सता विपक्ष के नेता – सदस्य
- (1) व (3) में संदर्भित अध्यक्ष एवं सदस्यों द्वारा अनुशंसित एक प्रख्यात न्यायविद्, राष्ट्रपति द्वारा नामांकित- सदस्य
लोकपाल के पास सेना को छोड़कर प्रधानमंत्री से लेकर चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी तक किसी भी जन सेवक (किसी भी स्तर का सरकारी अधिकारी, मंत्री, पंचायत सदस्य आदि) के खिलाफ भ्रष्टाचार की शिकायत की सुनवाई का अधिकार होगा। साथ ही वह इन सभी की संपत्ति को कुर्क भी कर सकता है। विशेष परिस्थितियों में लोकपाल को किसी आदमी के खिलाफ अदालती ट्रायल चलाने और 2 लाख रुपये तक का जुर्माना लगाने का भी अधिकार होगा।