अध्याय-7: नये प्रश्न नये विचार

आप क्या सीखेंगे

  • बुद्ध और महावीर की कहानी
  • उपनिषद और चार आश्रम

बुद्ध की कहानी

  • गौतम बुद्ध का असली नाम सिद्धार्थ था। आज से 2500 वर्ष पहले आधुनिक नेपाल के कपिलवस्तु के लुंबिनी में सिद्धार्थ का जन्म हुआ था। वह एक क्षत्रिय थे और शाक्य नामक गण के सदस्य थे। सिद्धार्थ एक राजकुमार थे। बचपन में उन्हें हर सुख सुविधा मिली हुई थी। जब सिद्धार्थ बड़े हुए तो जीवन के सही अर्थ के बारे में उनके मन में कई तरह के सवाल उठने लगे। जीवन का अर्थ जानने के लिए सिद्धार्थ ने अपना घर छोड़ दिया और इधर उधर भटकने लगे। उन्होंने कई ज्ञानी लोगों से बात की लेकिन उन्हें अपने सवालों के उत्तर नहीं मिले।
  • अंत में सिद्धार्थ बोध गया में एक पीपल के पेड़ के नीचे ध्यान लगाकर बैठ गये। कई दिनों तक ध्यान लगाने के बाद सिद्धार्थ को ज्ञान प्राप्त हुआ। ज्ञान प्राप्ति के बाद वे ‘बुद्ध’ यानि सही मायनों में ज्ञानी बन गये। उसके बाद बुद्ध ने अपना पहला प्रवचन वाराणसी के निकट सारनाथ में दिया। उसके बाद वे लोगों में ज्ञान का प्रसार करने लगे। बुद्ध की मृत्यु कुशीनगर (कुशीनारा) में हुई।

बुद्ध की शिक्षा:

  • जीवन में अनेक इच्छाएँ होती हैं। जब एक इच्छा पूरी हो जाती है तो हम कुछ और की इच्छा करने लगते हैं। इससे लालसा और इच्छा का एक अंतहीन सिलसिला शुरु हो जाता है। बुद्ध ने इसे तृष्णा या तन्हा का नाम दिया।
  • इच्छाओं और लालसाओं के अंतहीन चक्र के कारण जीवन कष्ट से भरा हुआ है।
  • हम अपने हर काम में संयम बरतकर इस कष्ट को दूर कर सकते हैं।
  • हमें दूसरों के प्रति (यहाँ तक कि पशुओं के प्रति भी) दया रखनी चाहिए।
  • हमारे अच्छे और बुरे कर्मों से हमारा अभी का जीवन और मृत्यु के बाद का जीवन प्रभावित होता है।

बुद्ध ने अपने प्रवचन में प्राकृत भाषा का इस्तेमाल किया था। उस समय आम आदमी प्राकृत भाषा का ही इस्तेमाल करते थे। आम आदमी की भाषा के इस्तेमाल के कारण ही बुद्ध की शिक्षा अधिक से अधिक लोगों तक पहुँच पाई थी। बुद्ध ने लोगों से कहा कि उनकी बाद पर ऐसे ही यकीन न करें बल्कि अपने विवेक का इस्तेमाल करने के बाद ही यकीन करें।

 

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