अध्याय-2: व्यापार से साम्राज्य तक

  • ईस्ट इंडिया कंपनी – कंपनी की सत्ता स्थापित हो गई
  • सन 1600 ईस्वी में ईस्ट इंडिया कंपनी ने इंग्लैण्ड की महारानी एलिजाबेथ प्रथम से चार्टर अर्थात इजाजत नामा हासिल किया जिससे कंपनी को पूरब से व्यापार करने का एकाधिकार मिल गया।
  • नोट- पुर्तगाल के खोजी यात्री वास्को-डी-गामा ने ही 1498 में पहली बार भारत तक पहुँचने के समुद्री मार्ग का पता लगाया था।
  • पुर्तगालियों ने गोवा में अपना पहला ठिकाना बनाया था।
  • नोट-सत्रहवीं शताब्दी की शुरुआत में डच तथा उसके कुछ समय पश्चात् फ़्रांसिसी भी आगए।
  • पुर्तगाली-ब्रिटिश-डच-और फ्रांसीसी।
  • पहली इंग्लिश फैक्ट्री 1651 में हुगली नदी के किनारे शुरू हुई।
  • व्यापारियों को उस जमाने में “फैक्टर ” कहा जाता था।
  • 1696 में फैक्ट्री की किले बंदी शुरू हुई।
  • 1698 में अंग्रेजो ने मुग़ल अफसरों को रिसवत देकर तीन गाँव की जमींदारी भी खरीद ली।
  • इनमे से एक गाँव कलीकाता था जो बाद में कलकत्ता बन गया।
  • कंपनी ने औरंगजेब से शुल्क चुकाए बिना व्यापार करने का फरमान जारी करावा लिया।
  • बंगाल के नवाब क्रम-मुर्शीद कुली खान और अलीवर्दी खान उसके बाद सिराजुद्दौला।

प्लासी का युद्ध-

  • 1756 में अलीवर्दी खान की मृत्यु के बाद सिराजुद्दौला बंगाल के नवाब बने।
  • सिराजुद्दौला ने 30000 सिपाहियों के साथ कासिम बाजार में स्थित इंग्लिश फैक्ट्री पर हमला बोल दिया उसके बाद नवाब ने कंपनी के कलकत्ता स्थित किले पर कब्जे के लिए उधर का रुख किया।
  • कलकत्ता के हाथ से निकल जाने की खबर सुनने पर मद्रास में तैनात कंपनी के अफसरों ने 1757 में राबर्ट क्लाइव के नेतृत्व में प्लासी के मैदान में सिराजुद्दौला के खिलाफ अपनी सेना भेजी।
  • मीरजाफर ( सिराजुद्दौला का सेनापति ) की गद्दारी की वजह से सिराजुद्दौला हार गया।
  • सिराजुद्दौला को मार कर मीरजाफर को नवाब बनाया गया।

बक्सर का युद्ध ( 1764 )

  • जब मीरजाफर ने कंपनी का विरोध किया तो कंपनी ने उसे हटाकर मीर कासिम को नवाब बना दिया।
  • जब मीर कासिम परेशान करने लगा तो बक्सर की लड़ाई ( 1764 ) में उसको भी हराना पड़ा।
  • अब फिर से मीरजाफर को दुबारा नवाब बनाया गया।
  • अब नवाब को हर महीने पाँच लाख रुपय कंपनी को चुकाने पड़ते थे।
  • 1765 में मीरजाफर की मृत्यु के बाद राबर्ट क्लाइव ने ऐलान किया अब हमे खुद ही नवाब बनाना पड़ेगा। आखिरकार 1765 में मुग़ल सम्राट ने कंपनी को ही बंगाल प्रान्त का दिवान नियुक्त कर दिया।
  • बक्सर की लड़ाई (1764 ) के बाद कंपनी ने भारतीय रियासतों में रेजिडेंट ( राजनितिक या व्यावसायिक प्रतिनिधि ) तैनात कर दिए।
  • नोट- राबर्ट क्लाइव – 1743 में जब वह इंग्लैण्ड से मद्रास ( वर्त्तमान में चेन्नई ) आया तब उसकी उम्र 18 साल थी उसने बेहिसाब धन इकट्ठाकर लिया था।
  • 1767 में वह दो बार गवर्नर बनने के बाद भारत से हमेशा के लिए रवाना हुआ।
  • 1772 में ब्रिटिश संसद में उसे भ्रष्टाचार के आरोपों पर अपनी सफाई देनी पड़ी। ( उसे आरोपों से बरी कर दिया गया।
  • 1774 में उसने आत्महत्या कर ली।

सहायक संधि –

  • गवर्नर जनरल रिचर्ड बेलेजली ( 1798-1805 ) इसे वेलेजली की संधि भी कहा जाता है।
  • जो रियासत सहायक संधि मन लेती थी उसे अपनी स्वतन्त्र सेनाएं रखने का अधिकार नहीं था।
  • जो शासक रकम अदा करने में चूक जाते थे तो जुर्माने के तौर पर उनका इलाका कंपनी अपने कब्जे में ले लेती थी। उदहारण के लिए अवध के नवाब का आधा इलाका ( 1801 ) में व हैदराबाद के कई इलाके इसी आधार पर छीने गए।

मैसूर-टीपू सुल्तान ( शेर-ए-मैसूर )

  • हैदर अली ( 1761-1782 ) तथा टीपू सुल्तान ( 1782-1799 ) के नेतृत्व में मैसूर काफी ताकतवर हो चूका था।
  • 1785 में टीपू सुल्तान ने बंदरगाहों से चन्दन की लकड़ी , काली मिर्च और इलाइची का निर्यात रोक दिया था।
  • टीपू सुल्तान ने भारत में रहने वाले फ्रांसीसी व्यापारियों से घनिष्ठ सम्बन्ध विकसित किए और उनकी मदद से अपनी सेना का आधुनिकीकरण किया।
  • मैसूर के साथ अंग्रेजों की चार बार जंग हुई ( 1767-69 ,1780-84 ,1790-92, और 1799 )
  • 1792 में मराठों और हैदराबाद के निजाम और कंपनी की संयुक्त फौजों के हमले के बाद टीपू को अंग्रेजों से संधि करनी पड़ी थी।
  • इस संधि के तहत उसके दो बेटों को अंग्रेजो ( लार्ड कार्नवालिस ) ने बंधक के रूप में अपने पास रख लिया।
  • श्रीरंगपट्टनम की आखिरी जंग में टीपू मारा गया तथा सत्ता वोडियर राजवंश के हाथों में सौंप दी गई ( टीपू 4 मई 1799 को मारा गया )

अंग्रेजों की मराठों से लड़ाई –

  • 1761 में पानीपत की तीसरी लड़ाई में हार के बाद मराठा राज्य कई राज्यों में बट गया।
  • इन राज्यों की बागडोर सिंधिया होलकर, गायकवाड़ और भोंसले जैसे अलग-अलग राजवंशों के हाथ में थी।
  • ये सारे सरदार एक पेशवा के अंतर्गत एक कन्फेडरेसी ( राजयमण्डल ) के सदस्य थे।
  • पेशवा राजयमण्डल का सैनिक और प्रशासनिकीय प्रमुख होता था। और पुणे में रहता था।
  • महाद्जी सिंधिया और नाना फडनीस अठारहवीं सदी के आखिर के दो प्रसिद्ध मराठा योद्धा और राजनीतिज्ञ थे।

मराठो के साथ अंग्रेजो के तीन युद्ध हुए –

  1. पहला युद्ध-1782 में सालबाई संधि के साथ ख़त्म हुआ।
  2. दूसरा अंग्रेज-मराठा युद्ध -( 1803-05 ) नतीजा यह हुआ कि उड़ीसा और यमुना के उत्तर में स्थित आगरा व दिल्ली सहित कई भू-भाग अंग्रेजो के कब्जे में आगए।
  3. तीसरा युद्ध- ( 1817-19 ) मराठो की ताकत कुचल दी गयी। पेशवा को पुणे से हटाकर कानपुर के पास बिठूर में पेंशन पर भेज दिया गया।
  4. विंध्य के दक्षिण में स्थित पूरे भू-भाग पर कंपनी का नियंत्रण हो गया।

सर्वोच्चता का दावा –

  • लार्ड हेस्टिंग ( 1813 से 1823 तक ) गवर्नर जनरल के नेतृत्व में ” सर्वोच्चता ” की एक नयी निति शुरू की गई।
  • कंपनी का दावा था कि उसकी सत्ता सर्वोच्च है इसलिए वह भारतीय राज्यों से ऊपर है।
  • कित्तूर ( कर्नाटक ) की रानी चेन्नमा ने अंग्रेजो का विरोध किया फलस्वरूप 1824 में उन्हें गिरफ्तार किया गया और 1829 में जेल में ही उनकी मृत्यु हो गयी।
  • चेन्नम्मा के बाद कित्तूर स्थित संगोली के एक गरीब चौकीदार रायन्ना ने यह प्रतिरोध जारी रखा। अंत में अंग्रेजो ने उसे भी ( 1830 ) में फांसी पर लटका दिया।
  • 1830 के दशक के अंत में कंपनी को रूस के प्रभाव से डर हुआ। इसलिय उन्होंने 1838 से 1842 के बीच अफगानिस्तान के साथ लम्बी लड़ाई लड़ी और वहाँ अप्रत्यक्ष शासन स्थापित किया।
  • 1843 में सिंध पर भी कब्ज़ा।
  • इसके बाद पंजाब की बारी परन्तु महाराजा रणजीत सिंह की वजह से दाल नहीं गली। 1839 में उनकी मृत्यु के बाद दो लम्बी लड़ाईयां हुई और 1849 में अंग्रेजो ने पंजाब पर भी अधिग्रहण कर लिया।

विलय निति –

  • अधिग्रहण की आखिरी लहार 1848-1856 के बीच गवर्नर जनरल लार्ड डलहौजी के शासन काल में चली।
  • इस सिद्धांत के अनुसार किसी शासक की मृत्यु हो जाती है और उसका कोई पुरुष वारिस नहीं है तो उसकी रियासत हड़प कर ली जाती थी।
  • इस सिद्धांत के आधार पर सतारा (1848 ), सम्बलपुर ( 1850 ), उदयपुर ( 1852 ), नागपुर (1853 ), और झाँसी (1854 ) पर अंग्रेजो ने कब्ज़ा कर लिया।
  • 1856 में कंपनी ने अवध के नवाब पर कुशासन का आरोप लगाते हुए इसे भी नियंत्रण में ले लिया।

नए शासन की स्थापना-

  • गवर्नर जनरल वारेन हेस्टिंग ( 1773-1785 ) के समय तक कंपनी बंगाल, बम्बई और मद्रास की सत्ता हासिल कर चुकी थी।
  • ब्रिटिश इलाके तीन प्रेसिडेंसी में बंटे थे -बंगाल,मद्रास और बम्बई।
  • शासन गवर्नर का होता था और सबसे ऊपर गवर्नर जनरल होता था।
  • वॉरेन हेस्टिंग ने प्रशासकीय व न्याय के क्षेत्र में कई सुधर किए।
  • 1772 में नई व्यवस्था के अंतर्गत हर जिले में दो अदालते स्थापित की गई।
  • फौजदारी अदालत -काजी (एक न्यायाधीश ) और मुफ़्ती( मुस्लिम समुदाय का एक ब्ययविद जो कानूनों की व्याख्या करता है। काजी इसी व्याख्या के आधार पर फैसले सुनाता है) के अंतर्गत कलेक्टर की निगरानी में।
  • दीवानी अदालत-यूरोपीय जिला कलेक्टर इनके मुखिया थे।

नोट- 1785 में जब वॉरेन हेस्टिंग इंग्लैण्ड लौटा एडमंड बर्के ने उस पर बंगाल के कुशासन का आरोप लगाया फलस्वरूप हेस्टिंग पर महाभियोग चलाया गया जो ब्रिटिश संसद में 7 साल तक चलता रहा।

  • 1775 में 11 पंडितों को भारतीय कानूनों का संकलन तैयार करने का काम सौंपा।
  • एन. बी. हालडेड ने इस संकलन का अंग्रेजी में अनुवाद किया।
  • 1778 तक यूरोपीय न्यायाधीशों के लिए मुस्लिम कानूनों की भी एक संहिता तैयार कर ली गई।
  • 1773 के रेग्युलेटिंग ऐक्ट के तहत एक नए सर्वोच्च न्यायलय की स्थापना की स्थापना की गयी।
  • इसके आलावा कलकत्ता में अपीली अदालत- सदर निजामत अदालत की भी स्थापना की गयी।

कलेक्टर -भारतीय जिले ओहदा या पद

  • इसका काम लगान व कर इकट्ठा करना, न्यायाधीशों,पुलिस अधिकारीयों व दरोगा की सहायता से जिले में कानून व्यवस्था बनाए रखना था।
  • उसका कार्यकाल “कलेक्ट्रेट ” सत्ता और संरक्षण का नया केंद्र बन गया था।

कंपनी की फ़ौज –

  • अंग्रेज अपनी सेना को सिपॉय ( जो भारतीय शब्द सिपाही से बना है ) आर्मी कहते थे।
  • 1820 के दशक से ब्रिटिश साम्राज्य बर्मा, अफगानिस्तान और मिश्र से भी लड़ रहा था जहाँ सिपाही मस्कट ( तोड़ेदार बंदूक ) और मैचलॉक से लैस थे।
  • सिपाहियों को यूरोपीय ढंग का प्रशिक्षण अभ्यास और अनुशासन सिखाया जाने लगा।

निष्कर्ष-

  • ईस्ट इंडिया कंपनी एक व्यापारिक कंपनी से बढ़ते-बढ़ते एक भौगोलिक औपनिवेशिक शक्ति बन गयी।
  • 1857 तक भारतीय उपमहाद्वीप के 63 प्रतिशत भूभाग और 78 प्रतिशत आवादी पर कंपनी का सीधा शासन स्थापित हो चुका था।

प्रातिक्रिया दे

आपका ईमेल पता प्रकाशित नहीं किया जाएगा. आवश्यक फ़ील्ड चिह्नित हैं *