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अनुच्छेद 3: नए राज्यों का गठन या वर्तमान राज्यों में परिवर्तन

(Article 3: Formation of new States or alteration of existing States)

राजव्यवस्था नोट्स

(Polity Notes in Hindi)

भारतीय संविधान का अनुच्छेद 3 संसद को नए राज्यों का गठन करने और मौजूदा राज्यों की सीमाओं, नामों में परिवर्तन करने की शक्ति प्रदान करता है। यह अनुच्छेद संघीय ढांचे का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है और राज्यों के बीच शक्तियों के वितरण को निर्धारित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।

अनुच्छेद 3 के मुख्य प्रावधान:

  • नए राज्यों का गठन: संसद किसी भी क्षेत्र से नए राज्य का गठन कर सकती है, चाहे वह पहले किसी मौजूदा राज्य का हिस्सा रहा हो या केंद्र शासित प्रदेश रहा हो।
  • राज्यों की सीमाओं में बदलाव: संसद किसी भी राज्य की सीमाओं को बदल सकती है, चाहे वह दो या दो से अधिक राज्यों के बीच हो।
  • राज्यों का नाम बदलना: संसद किसी भी राज्य का नाम बदल सकती है।
  • प्रक्रिया: इन परिवर्तनों को करने के लिए, संसद को विशेष बहुमत से एक विधेयक पारित करना होता है।
  • विधान सभाओं की सहमति: यदि कोई परिवर्तन किसी राज्य की सीमाओं या नाम को प्रभावित करता है, तो उस राज्य की विधान सभा से पूर्व सहमति आवश्यक है।

उदाहरण:

  • 1956: 14 राज्यों और 6 केंद्र शासित प्रदेशों का गठन करने के लिए राज्य पुनर्गठन आयोगकी सिफारिशों पर संविधान में कई संशोधन किए गए थे। यह भारतीय इतिहास में राज्यों के पुनर्गठन का सबसे बड़ा दौर था।
  • 1960: मलयालम भाषी क्षेत्रों को मिलाकर केरलराज्य का गठन किया गया था।
  • 1975: सिक्किम को 22वें राज्यके रूप में भारत में शामिल किया गया था।
  • 2000: छत्तीसगढ़ और झारखंड को क्रमशः मध्य प्रदेश और बिहारसे अलग करके नए राज्य बनाए गए थे।
  • 2019: जम्मू और कश्मीर राज्य को दो केंद्र शासित प्रदेशों, जम्मू और कश्मीर और लद्दाखमें विभाजित किया गया था।

अनुच्छेद 3 का महत्व:

  • राज्यों के बीच क्षेत्रीय विवादों को हल करने में मदद करता है।
  • राज्यों के प्रशासन को बेहतर बनाने के लिए सीमाओं का पुनर्निर्धारण करता है।
  • भाषाई और सांस्कृतिक समानता के आधार पर राज्यों का गठन करता है।
  • राज्यों के बीच समान विकास को बढ़ावा देता है।
  • देश की एकता और अखंडता को बनाए रखने में मदद करता है।

आलोचनाएं:

  • कुछ का तर्क है कि इसका उपयोग केंद्र सरकार द्वारा राज्यों पर अधिक नियंत्रण स्थापित करने के लिए किया जा सकता है।
  • राज्यों के पुनर्गठन से सामाजिक अशांति और अस्थिरता पैदा हो सकती है।
  • यह प्रक्रिया जटिल और समय लेने वाली हो सकती है।

निष्कर्ष:

अनुच्छेद 3 एक शक्तिशाली उपकरण है जिसका उपयोग भारत के राजनीतिक मानचित्र को बदलने के लिए किया जा सकता है। इसका उपयोग सावधानी और विवेक के साथ किया जाना चाहिए ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि इसका उपयोग देश के सर्वोत्तम हित में किया जाए।

 

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