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नेहरू-नून समझौता (1958)

Nehru-Noon Pact (1958):

राजव्यवस्था नोट्स

(Polity Notes in Hindi)

नेहरू-नून समझौता, जिसे पूर्वी पाकिस्तान के शरणार्थियों के प्रवासन और पुनर्वास पर समझौता भी कहा जाता है, भारत और पाकिस्तान के बीच 8 अप्रैल 1958 को हस्ताक्षरित एक समझौता था। इस समझौते का उद्देश्य पूर्वी पाकिस्तान (अब बांग्लादेश) से भारत में आए हिंदू शरणार्थियों के मुद्दे को हल करना था।

पृष्ठभूमि:

  • 1947 में भारत के विभाजन के बाद, लाखों हिंदू धार्मिक उत्पीड़न के डर से पूर्वी पाकिस्तान से भारत चले गए।
  • भारत सरकार ने इन शरणार्थियों को बसाने के लिए शरणार्थी शिविर स्थापित किए, लेकिन उनकी संख्या लगातार बढ़ रही थी।
  • दोनों देशों के बीच तनाव बढ़ रहा था, सीमा विवादों और जल बंटवारे जैसे मुद्दों पर।

समझौते की मुख्य बातें:

  • भारत और पाकिस्तान ने शरणार्थियों के मुक्त प्रवासन और पुनर्वास की अनुमति देने पर सहमति व्यक्त की।
  • दोनों देशों ने शरणार्थियों की संपत्ति के मुद्दे को हल करने के लिए एक दावों आयोग की स्थापना करने पर सहमति व्यक्त की।
  • दोनों देशों ने शांतिपूर्ण सह-अस्तित्व और सहयोग को बढ़ावा देने पर सहमति व्यक्त की।

उदाहरण:

  • समझौते के परिणामस्वरूप, लाखों हिंदू शरणार्थी भारत में सुरक्षित रूप से स्थापित हो सके।
  • दावों आयोग ने शरणार्थियों और उनके द्वारा छोड़ी गई संपत्ति के बीच कई दावों का समाधान किया।
  • समझौते ने दोनों देशों के बीच संबंधों में सुधार करने में मदद की, हालांकि तनाव और विवाद पूरी तरह से समाप्त नहीं हुए।

आलोचना:

  • कुछ लोगों ने समझौते को पाकिस्तान की हार के रूप में देखा।
  • अन्य लोगों ने समझौते को शरणार्थियों के लिए अन्यायपूर्ण बताया।
  • समझौते के कार्यान्वयन में कई देरी और अड़चनें आईं।

निष्कर्ष:

नेहरू-नून समझौता भारत और पाकिस्तान के बीच शरणार्थियों के मुद्दे को हल करने का एक महत्वपूर्ण प्रयास था। इसने लाखों लोगों को सुरक्षित घर प्रदान करने में मदद की और दोनों देशों के बीच संबंधों में सुधार करने में योगदान दिया।

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